Pls. Tell me Gogoriya gotra ki kuldevi kaun si hai . Place DeviAtas Mathura-Uttar pradesh
दुनिया की सारी अच्छी बातें लिखी जा चुकीं है पर उस पर अमल करना बाकी है। कीचड़ उसके पास था मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था उसने दीया उछाल।। *होलिका दहन और रंग होली की हार्दिक शुभकामनाएं।*
📮 यह कैसा मृत्युभोज है ???❓ जिस भोजन को रोते हुए बनाया जाता है, जिस भोजन को खाने के लिए रोते हुए बुलाया जाता हैं, जिस भोजन को आँसू बहाते हुए खाया जाता हैं, उस भोजन को मृत्युभोज कहा जाता... है, 😩😩😩😭😭 जिस परिवार मे विपदा आई हो उसके साथ इस संकट की घड़ी मे जरूर खडे़ हो और तन,मन,और धन से सहयोग करे और मृतक भोज का बहिस्कार करे । भोजन तभी करना चाहिए जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो, लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों दोनो के दिल में दर्द हो, वेदना हो, तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करना चाहिए। मृत्यु भोज हमारे ऊपर एक कलंक है यह अमानवीय कृत्य है । 🙏😭 समाज बंधुओं मैने तो मृत्यु भोज बंद कर रखा है। आप कब कर रहे है ।⁉️ मेरे विचारों से आप कितने सहमत है।ये आपकी सोच पर निर्भर करता है । आइयें हम सब मिलकर इस कुरूति को समाज में पूर्णतया बंद करने का छोटा सा गिलहरी प्रयास करे। Read more
*आर्थिक रूप से कमजोर वरपक्ष -* हमारे पूर्वजों ने असामर्थवान वरपक्ष हेतु शादी के लिये एक व्यवस्था बनाई *'सामूहिक विवाह सम्मेलन'* इसमें आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति की समृद्ध समाज द्वारा वैवाहिक... खर्च व अन्य जरूरी दैनिक जीवन उपयोगी समान देकर मदद की जाती है। *समृद्ध वरपक्ष-* हमारे पूर्वजों ने शादी में वरपक्ष द्वारा ही सब खर्चा करने की व्यवस्था बनाई थी जैसे- गोदभराई व वरीपूरी में बहू को जेवर व कपड़े देना, बहू का सिंगार, बैंड व अतिशबाजी करना आदि। *कन्यापक्ष* द्वारा केवल उपहार रहित बेटी का कन्यादान व वरपक्ष का सामान्य स्वागत करना था। किन्तु कुछ समृद्ध लोगों ने इस परंपरा को तोड़ते हुए अपनी बेटी को उपहार देना शुरू कर दिया और उसी उपहार स्वरूप दहेज ने विकृत रूप ले लिया इसी कारण आज मॅहगाई के दौर में दहेज न दे पाने के कारण कन्या भ्रूणहत्या होने लगीं। *दहेज निवारण-* वरपक्ष के कुछ लोगों का सामान्य स्वागत के अलावा कन्यापक्ष द्वारा दी जाने वाली हर वस्तु दहेज़ मानी जाए - *देना मज़बूरी है लेना नहीं*, कृपया इसको अस्वीकार करें, ताकि स्वाभिमान, प्रतिष्ठा और कन्या-प्रेम व अनुपात में वृद्धि हो। समाज बंधुओं से अनुरोध है इन (घूंघट, दहेज व मृत्युभोज) कुरीतियों को त्यागने हेतु आगे आएं और प्रेणनाश्रोत बनें। सामाजिक मंच पर स्वागत व *"कुरीतियां रहित परिवार"* का सर्टिफिकेट प्राप्त करें। Read more
सनातन सभ्यता में घूंघट जैसी कोई प्रथा कभी थी ही नहीं, दक्षिण भारत में नहीं है ये प्रथा
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